बिहार राज्य के मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत नीरपुर पंचायत के फुलकिया गांव में एक बेहद दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां कुछ अज्ञात दबंगों ने मध्य विद्यालय फुलकिया के भवन को रविवार की रात जेसीबी मशीन से गिरा दिया। यह विद्यालय गांव के सैकड़ों बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र है, जहां लगभग 200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। रविवार की रात को हुई इस घटना में स्कूल की चारदीवारी और दो कमरों वाला किचन भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। यह किचन भवन बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन तैयार करने के लिए प्रयोग किया जाता था। सोमवार की सुबह जब स्कूल की प्रधानाध्यापिका आरती विश्वकर्मा विद्यालय पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि विद्यालय की पूर्वी दिशा की दीवार टूटी हुई है और किचन भवन पूरी तरह गिरा पड़ा है।
इस घटना से प्रधानाध्यापिका समेत पूरे विद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्रधानाध्यापिका आरती विश्वकर्मा और विद्यालय प्रबंध समिति की सचिव अंबिका देवी ने मिलकर बरियारपुर थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि यह घटना किसी भी सामान्य तोड़फोड़ की नहीं, बल्कि सुनियोजित योजना का हिस्सा लगती है। विद्यालय की संपत्ति को इस तरह से रात के अंधेरे में नुकसान पहुंचाना एक गंभीर अपराध है और इस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
स्थानीय ग्रामीणों ने घटना के पीछे मंदिर निर्माण को मुख्य कारण बताया है। गांव के पीछे श्री मंगला काली मां का मंदिर बन रहा है। पहले मंदिर का रास्ता विद्यालय के पश्चिमी हिस्से से होकर जाता था। लेकिन अब मंदिर निर्माण में लगे लोगों ने एक नया रास्ता निकालने की योजना बनाई है, जो सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग NH-80 से मंदिर को जोड़ सके। इसी योजना के चलते विद्यालय की दीवार और रसोईघर को जेसीबी से गिरा दिया गया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को जबरदस्त तरीके से मंदिर की चारदीवारी का निर्माण कार्य चलता रहा, जबकि प्रशासन ने किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी थी। यह प्रशासनिक आदेशों की खुली अवहेलना है।
विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था पर इस घटना का सीधा असर पड़ा है। लगभग 200 नामांकित बच्चों की पढ़ाई नए भवन में तो होती है, लेकिन मध्यान्ह भोजन का पकवान इसी टूटे हुए भवन में किया जाता था। अब चूल्हे, गैस सिलेंडर, बर्तन और अन्य रसोई सामग्री खुले मैदान में पड़ी है, जो कि बच्चों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए खतरा है। कई माता-पिता अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित हैं। कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि जल्द ही स्कूल की मरम्मत और रसोईघर का पुनर्निर्माण नहीं हुआ तो बच्चों का विद्यालय आना कम हो जाएगा, जिससे उनकी शिक्षा पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा।
जिला परियोजना अधिकारी (डीपीओ) आनंद वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विद्यालय भवन को गिराना पूरी तरह से गैरकानूनी है और यह शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला है। उन्होंने प्रधानाध्यापिका को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। बरियारपुर के बीडीओ देव मोहम्मद असगर अली ने भी कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं मुंगेर के जिलाधिकारी अवनीश कुमार ने भी मामले की जानकारी मिलने पर जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर निर्माण कार्य को तत्काल रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद मंदिर निर्माण कार्य चलता रहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दबंग लोगों को कानून का कोई डर नहीं है। बरियारपुर थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जेसीबी मालिक, मंदिर निर्माण समिति और मजदूरों से पूछताछ की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना केवल एक विद्यालय की चारदीवारी गिराए जाने की नहीं, बल्कि समाज की प्राथमिकताओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। जब एक सरकारी विद्यालय, जहां गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं, को इस तरह से निशाना बनाया जाता है, तो यह न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए भी खतरे की घंटी है। मंदिर जैसे धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए यदि बच्चों की शिक्षा के स्थान को गिराया जा रहा है, तो यह सामाजिक न्याय की मूल भावना के विपरीत है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। कई संगठनों ने सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए जिला प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसी घटनाएं अन्य गांवों में भी दोहराई जा सकती हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था को और नुकसान होगा।
अभी विद्यालय प्रशासन, ग्रामीण और अधिकारी इस मामले में एकमत हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और विद्यालय की चारदीवारी और रसोईघर का पुनर्निर्माण शीघ्र कराया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी विद्यालय या सार्वजनिक संपत्ति को धार्मिक या निजी हितों के लिए इस प्रकार से नुकसान न पहुंचाया जा सके।
सरकारी विद्यालय देश के भविष्य निर्माता बच्चों की शिक्षा का आधार हैं। इन्हें सुरक्षित और सशक्त रखना पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर समाज की आंखों के सामने कोई विद्यालय तोड़ा जाता है और लोग चुप रहते हैं, तो वह चुप्पी एक दिन पूरे भविष्य पर भारी पड़ सकती है।
फुलकिया गांव की यह घटना एक चेतावनी है कि शिक्षा के मंदिरों को बचाना अब केवल सरकार या प्रशासन का कार्य नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम विकास के नाम पर क्या खो रहे हैं और किस दिशा में बढ़ रहे हैं।
इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका अब सबसे अहम है। यदि जिला प्रशासन समय पर जांच पूरी करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता है और स्कूल का पुनर्निर्माण करवाता है, तो यह न केवल फुलकिया गांव, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक संदेश होगा। प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में किसी विद्यालय को इस तरह की घटनाओं का सामना न करना पड़े।
फुलकिया गांव का विद्यालय अब न्याय की प्रतीक्षा में है। बच्चों की मासूम आंखें एक बार फिर से साफ-सुथरे, सुरक्षित रसोईघर और मजबूत दीवारों वाले विद्यालय की ओर देख रही हैं। उन्हें यह भरोसा दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है कि उनकी शिक्षा, पोषण और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, प्रबंध समिति, ग्रामीण और प्रशासन मिलकर इस नुकसान की भरपाई करेंगे, ऐसा विश्वास हर नागरिक को होना चाहिए। शिक्षा का दीपक किसी भी परिस्थिति में बुझने नहीं देना है। यही इस घटना से मिलने वाला सबसे बड़ा संदेश है।
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